नई दिल्ली/भारत न्यूज़लाईन ब्यूरो:-महंगाई की अब चौतरफा मार पड़नी शुरू हो गई। करीब 137 दिनों के बाद पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी की गई है। यही नहीं रसोई गैस के सिलेंडर में भी पचास रुपए का इजाफा किया गया है। इससे पहले दूध के दामों में पहले ही बढ़ोतरी हो चुकी है। मंगलवार को पेट्रोल की कीमतों (Petrol Price) में जहां 80 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। डीजल भी 78 पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया। सरकार ने घरेलू गैस की कीमतों में भी 50 रुपये का इजाफा कर दिया है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत जहां 96.21 रुपये प्रति लीटर पर पहंच गई, वहीं डीजल भी 87.47 रुपये पर है।एक मार्च से हुई बढ़ोतरी के बाद राजधानी दिल्ली में कामर्शियल सिलेंडर की कीमत 1907 से बढ़कर 2012 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई है। वहीं, पांच किलो के छोटे गैस सिलेंडर के दाम 27 रुपये बढ़कर 569.5 रुपये हो गई है। कंपनियों ने घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं है। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत छह अक्तूबर 2021 के बाद स्थिर हैं। ऐसे में चुनाव के बाद दाम बढ़ सकते हैं। तेल कंपनियां मार्च की पहली तारीख को रसोई गैस की कीमतों को लेकर बड़ा फैसला करने जा रही है। 1 मार्च यानी कल तय हो जाएगा कि एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम अगले एक महीने तक क्या रहने वाले हैं। बता दें कि हर महीने के एक तारीख को तेल और रसोई गैस की कीमतों को लेकर एक समीक्षा बैठक की जाती है। इस बैठक के बाद ही तेल और रसोई गैस के दम बढ़ते और घटते हैं। खासकर रसोई गैस की कीमत को लेकर पेट्रोलियम कंपनियां ही फैसला लेती हैं। इस बार इस बैठक में यूक्रेन और रूस की लड़ाई का असर भी दिख सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इस लड़ाई से भारत के आम लोग भी प्रभावित होंगे? क्योंकि, रूस और यूक्रेन की लड़ाई से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ रसोई गैस की कीमतों में भी बड़ा इजाफा के अनुमान लगाए जा रहे हैं।पेट्रोल और डीजल की कीमत भी पिछले कई माह से स्थिर हैं। केंद्र सरकार ने तीन नवंबर 2021 को उत्पाद शुल्क में पेट्रोल पर पांच और डीजल पर दस रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। इसके बाद कई राज्य सरकारों ने भी अपना टैक्स कम किया था। उस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम औसतन 82 डॉलर प्रति बैरल थे। रूस और यूक्रेन की लड़ाई में कच्चे तेल 104 डॉलर के पार पहुंच गया है।कच्चे तेल की कीमतों में जल्द कमी के आसार नहीं है। इसका कारण यह है कि अमेरिका के आग्रह के बावजूद सबसे बड़े उत्पादक सऊदी अरब ने अपना उत्पादन नहीं बढ़ाया है। ऐसे में कच्चे तेल के दाम में फिल्हाल कमी की संभावना कम है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से कंपनियां दबाव में हैं। ऐसे में जल्द पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

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